सुना है, दीवारों के भी कान होते हैं
तो खुद से भी बातें, न किया करो
कहीं सुन न ले, तुम्हारी सब बातें
पर मेरी ये बात, नही मानना तुम
दीवारें शायद सुन लें तुम्हारी बातें
पर वो कभी कहेंगी नही किसी से
तुम्हारा दर्द महसूस करेंगी, रोएँगी
खुशी में तुम्हारी, साथ मुस्कराएँगी
छुपा लेंगी तुम्हारी तरह राज तुम्हारे
Excellent poem
ReplyDelete