Tuesday, March 24, 2009

दिल है छोटा सा.. छोटी सी आशा..

बैंक गया तो मटकू भैया मिल गयेI
दुआ-सलाम के बाद मैने उनको अपनी मुफ्त की सलाह दे डाली, "भैया, अच्छा हुआ आप मिल गयेI आज ही टाटा की 'नैनो' आई हैI आप भी एक ले लोI"
"बात तो तुम बहुत अच्छा कहे हो, पर तुम्हे तीन बातें बोलता हूँI"
"क्या भैया?"
"पहली ये कि एक लाख गाड़ी के लिए एक-एक लाख का बुकिंग अमाउंट जमा होने पर टाटा को कम-से-कम कितने करोड़ मिलेंगे, कभी सोचा है?"
"नही भैया..."
"दूसरी ये कि जब बड़े-बड़े खिलाड़ी लग्ज़री गाड़ी पर ध्यान लगाए बैठे थे, टाटा ने आम उपभोक्ता की उमीद से आगे जा कर उनके सपनो को पंख दिएI उनके छोटे से दिल की छोटी सी आशा की गाड़ी के रूप में 'नैनो' पेश किया...है कि नही?"
"और तीसरी बात भैया?"
"गाड़ी तो आ गयी, बिकेगी भी खूब... पर सड़क के गड्ढे और अतिक्रमण करते वाहनो, दुकानो का हमारे नेताओं के पास क्या समाधान है?"
"......" मैं चुप थाI