Friday, July 20, 2018

अमलतास के पीले फूल

अमलतास के पीले फूल
होड़ लेते नव अरूण से
कौन कितना हो सुनहरा 

खुशी की आभा बिखेरे
रास्ते करते हैं रौशन 
हो विटप या हो धरा

भार तज निज किसलयों का 
पुष्प का श्रृंगार करके 
ग्रीष्म भूपति बन खड़ा 

छाँव में इक साँस ले लूँ 
स्वर्ण लड़ियों को निहारूं
देखूँ जी भर के जरा

अमलतास के पीले फूल