Sunday, April 19, 2009

जूता पुराण

बाज़ार गया तो जूते की दूकान में मटकू भैया दीख गए. उन्हें छेड़ने का मौका मैं कहाँ छोड़नेवाला था? छूटते ही शुरू हो गया, "क्या भैया? अब आप भी?"
"क्या हुआ?"
"मतलब अब आप भी?"
"अरे मूरख, आगे भी कुछ बोलेगा?"
मटकू भैया को गुस्सा होते देख मुझे मज़ा आने लगा था लेकिन सोये शेर के साथ छेड़खानी तभी तक अच्छी जब तक वो सोया हुआ है.... वरना तो आप समझ ही गए होंगे.
"भैया, बुश से शुरु हुआ सिलसिला PM-in-waiting अडवाणी तक पहुँच गया है..... पर आप किस पर खफा हैं?"
भैया मेरा इशारा समझ कर हँसने लगे.
बोले "खफा तो पब्लिक है भाई.... अब पब्लिक को भाषण नही, रासन चाहिए. जो देगा, उ वोटवा पायेगा, अ नही ता जूता खायेगा."
हम दोनों साथ में हंस पड़े.