Tuesday, January 3, 2017

नव वर्ष की शुभकामनाएँ



वक़्त की मुट्ठी से रिसकर
लम्हा-लम्हा गिरता जाता
रुकता नहीं किसी के लिए
समय सदा ही बढ़ता जाता

जाने क्या है ये समय?
जाने किस अनंत से आता
घंटे, दिन और साल बनाता
जाने किस अनंत को जाता

सोचता हूँ, क्या समय ही
है निरपेक्ष? है सर्वव्यापी?
क्या काल-चक्र की गति पर
है टिकी दुनिया हमारी ?

कहते हैं, जब समय साथ दे
दुनिया से पहचान कराता
और समय जब रूठ जाये तो
अपनों की पहचान कराता

माना जश्न है नए साल का
इस पल को तुम खूब मनाओ
पल-पल से ही जीवन बनता
हर पल का उल्लास मनाओ