Tuesday, March 10, 2020

जाने कैसी होली आई

बड़ी अनोखी होली आई
बंटे हुए कई रंग लाई
हरा है तेरा, मेरा भगवा
कहते हैं अब भाई-भाई

रंग बिरंगे चेहरे होते
रंग बदलता था न कोई
अब तो रंगा सियार हर तरफ
जाने कैसी होली आई

गली-गली में रंग थे बहते
मिलते गले, मुबारक कहते
अब मिलने से भी डर लगता
जाने कैसी होली आई

भेद भाव सब मिट जाते थे
राग द्वेष सब छंट जाते थे
मन में ईर्ष्या, रंग हाथों में
जाने कैसी होली आई

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