Wednesday, September 5, 2012

गुरुजनों को नमन

माचिस की तीली
आग समेटे
शहर - ग्राम
ढूंढता मुकाम
छोटे-छोटे
बेकार पड़े टुकड़े
लकड़ी के
गीले, टेढ़े-मेढ़े
बाँट दिया उनमे
आग अपना
अब सारे
खुद हैं रौशन
जग को दे रहे
उसकी रौशनी
उन तमाम गुरुजनों को, जिन्होंने मुझे वो बनाया, जो मैं आज हूँ, मैं नमन करता हूँ.
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

Thursday, June 14, 2012

मैं कार्टून...

 यूँ तो मैं बहुत व्यस्त हो गया था लेकिन थोड़ी सी फुर्सत मिली कि मटकू भईया की याद आई. फिर क्या था, सुबह-सवेरे उनके घर पहुँच गया. 
"भईया प्रणाम"
"अरे कईसे हो? बहुत दिनों बाद हमारी याद आई?"
"क्या भईया, आप भी तो हमें भूल गए?" मैंने शिकायत की.
"अभी परसों ही तो तुम्हारे घर गया था. बच्चों ने बताया कि तुम आज-कल ज्यादा ही व्यस्त रहने लगे हो."
मैं थोडा लज्जित हुआ पर सँभलते हुए बोला, "अच्छा भईया, जरा ये बताइए कि जिसका लक्ष्य हमें गुदगुदाना हो, वह सर-फुटव्वल का कारण बन जाये तो आप क्या कहेंगे?"
"मैं कहूँगा, मैं हूँ कार्टून!" भईया मेरा इशारा पूरी तरह से समझ गए थे.

Tuesday, February 21, 2012

बाबा भारती की कहानी - आधुनिक सन्दर्भ में

एक हाथ में चाय और दूसरे में अखबार लेकर मैं बालकोनी में आया. कुर्सी पर जमते ही आवाज़ आई, "गुड-मार्निंग अंकल".
मैंने देखा कि सामने के फ्लैट की बालकोनी में रवि खड़ा है. हाथों में किताब और चेहरे पर तनाव. 
"परीक्षा है?"
उसने सर हिलाया.
"हिंदी की"
और वह फिर घूमने लगा, "बाबा भारती ने डाकू खड्ग सिंह से क्या कहा?"