आज सुबह-सुबह बाज़ार पहुंचा तो देखा कि रामजतन पानवाले की दुकान पर मटकू भईया "किरकिटिया चर्चा" में व्यस्त हैं. मुझे तो जैसे मौका मिल गया -
"क्या भईया? आप भी क्रिकेट में रस लेने लगे?"
"धुर बुरबक, हमरा चलता तs ई खेलवे को "राष्ट्रीय आपदा" घोषित कर देते!"
"अच्छा भईया, आपको क्या लगता है? इस बार वर्ल्ड कप भारत आएगा कि नही?"
भईया शुरू हो गए -
"एक धोबी के पास एक गधा था. धोबी उसको जी-भर के काम कराता, खाना भी नही देता और आना-कानी करने पर गधे की खूब पिटाई करता. अगल-बगल के गधों को अपने साथी की ये हालत देखी नही जाती थी. एक दिन मौका मिलने पर एक ने उससे पूछा - भाई, तुम्हारा मालिक तुम पर इतना ज़ुल्म करता है, फिर भी तुम चुप-चाप सहते हो. आखिर क्यों? भाग क्यों नही जाते?
पहला गधा दार्शनिक अंदाज़ में बोला - क्या बताऊँ दोस्त, बात तो तुम्हारी ठीक है पर मेरी एक मजबूरी है.
दूसरे ने पूछा - कैसी मजबूरी?
पहले ने कहा - मेरे मालिक की बेटी बहुत ही सुन्दर है. वो जब भी कोई बेवकूफी का काम करती है, मालिक कहता है कि अगर तू नही सुधरी तो तेरी शादी इस गधे से कर दूंगा."
भईया बोल कर यूँ गायब हो गए जैसे गधे के सर से सींग; और हम अपना सर खुजाते रहे.
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