कविता क्या है?
ढलते सूरज की लाली,
पंछियों का कलरव है।
देर रात सा सन्नाटा,
होली सा उत्सव है।
हरसिंगार की खुशबू
गुलमोहर की लाली है।
कोयल की गूँजती कूक
बौराए आम की डाली है।
सूरज की तेज धूप
समन्दर का शोर है।
गाँव की पगडंडी सा,
पत्थर सा कठोर है।
बूढ़े की चिंता सा,
बच्चे की हँसी है।
मन भावों को पकड़े,
उस अनंत का अंत है।
कविता क्या है?
मन ने, और मौन ने,
जो धारण किया है
वह वस्त्र है!
विश्व कविता दिवस। #worldpoetryday
No comments:
Post a Comment