सर्दियाँ
मौसम नही
एक एहसास है
खुशी का, उत्सव का
अमीरों के गुलाबी शाम हैं
खनकती हँसी, हाथों में जाम है
गरीबों के लिए ठिठुरन, बुझती अलाव है
सुबह जिंदा हैं, यही उत्सव, यही घाव है।
मौसम नही
एक एहसास है
खुशी का, उत्सव का
अमीरों के गुलाबी शाम हैं
खनकती हँसी, हाथों में जाम है
गरीबों के लिए ठिठुरन, बुझती अलाव है
सुबह जिंदा हैं, यही उत्सव, यही घाव है।
वाह वाह... बिल्कुल सही
ReplyDeleteसही है.
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