गण का तंत्र है
तंत्र के गण हैं
इनमें कुछ मान्य हैं
तभी गणमान्य हैं
गण की गणना में
कुछ तो मूर्धन्य हैं
मानो, न मानो
कुछ स्वनाम धन्य हैं
जन गण के मन की
कौन कहे, कौन सुने?
मन की ही बात है
मन की ही मानी है
जन के अधिनायक
हे गण के गणपति
हहाकार चहुँ ओर
सत्ता पर मौन है
कौन है वह जन
हर मंत्र से परे है जो?
कौन है वो गण
हर तंत्र से परे है जो?
गण का यह तंत्र है
गण के लिए, गण द्वारा
हाथ हाथ साथ चले
लें सहारा, दें सहारा
तंत्र के गण हैं
इनमें कुछ मान्य हैं
तभी गणमान्य हैं
गण की गणना में
कुछ तो मूर्धन्य हैं
मानो, न मानो
कुछ स्वनाम धन्य हैं
जन गण के मन की
कौन कहे, कौन सुने?
मन की ही बात है
मन की ही मानी है
जन के अधिनायक
हे गण के गणपति
हहाकार चहुँ ओर
सत्ता पर मौन है
कौन है वह जन
हर मंत्र से परे है जो?
कौन है वो गण
हर तंत्र से परे है जो?
गण का यह तंत्र है
गण के लिए, गण द्वारा
हाथ हाथ साथ चले
लें सहारा, दें सहारा