इस वर्ष ठंड का ये दूसरा दौर शुरू हो चुका है। कुहासे के आगे सूर्य-देव भी लाचार नज़र आते हैं। एक गुनी-जन ने बताया कि ये ठण्ड ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है! उनकी बातें सुन कर मुझे भईया की याद आई। इनकी बात की तरह भईया की बातों को समझना भी मेरे लिए कठिन होता है। भईया की याद आई तो ये भी याद आया कि उनसे मिले तो अरसा हो गया है। सो मैं उनके घर पहुँच गया।
"भईया, भईया।" मैंने जोर से आवाज़ लगायी।
"कौन है?" अन्दर से भैया की आवाज़ आई। साथ ही दरवाज़ा खुला - "अरे तुम! आओ, आओ।"
"भईया प्रणाम। आप तो आज-कल मुझे याद भी नहीं करते। कितने दिन हो गए, आप आये भी नहीं।" मैंने शिकायत की।
"ठण्ड ज्यादा थी न, इसलिए अति-आवश्यकता होने पर ही निकलता था। और सुनाओ"
"दिल्ली में इतना बड़ा काण्ड हो गया और आप मौन हैं?" मैंने उन्हें छेड़ा।