यूँ तो मैं बहुत व्यस्त हो गया था लेकिन थोड़ी सी फुर्सत मिली कि मटकू भईया की याद आई. फिर क्या था, सुबह-सवेरे उनके घर पहुँच गया.
"भईया प्रणाम"
"अरे कईसे हो? बहुत दिनों बाद हमारी याद आई?"
"क्या भईया, आप भी तो हमें भूल गए?" मैंने शिकायत की.
"अभी परसों ही तो तुम्हारे घर गया था. बच्चों ने बताया कि तुम आज-कल ज्यादा ही व्यस्त रहने लगे हो."
मैं थोडा लज्जित हुआ पर सँभलते हुए बोला, "अच्छा भईया, जरा ये बताइए कि जिसका लक्ष्य हमें गुदगुदाना हो, वह सर-फुटव्वल का कारण बन जाये तो आप क्या कहेंगे?"
"मैं कहूँगा, मैं हूँ कार्टून!" भईया मेरा इशारा पूरी तरह से समझ गए थे.