एक हाथ में चाय और दूसरे में अखबार लेकर मैं बालकोनी में आया. कुर्सी पर जमते ही आवाज़ आई, "गुड-मार्निंग अंकल".
मैंने देखा कि सामने के फ्लैट की बालकोनी में रवि खड़ा है. हाथों में किताब और चेहरे पर तनाव.
"परीक्षा है?"
उसने सर हिलाया.
"हिंदी की"
और वह फिर घूमने लगा, "बाबा भारती ने डाकू खड्ग सिंह से क्या कहा?"