Wednesday, July 16, 2008

जीवन तेरे रूप अनेक

जीवन भी कितना विचित्र है.... कभी सुकून देता है, कभी तकलीफ। अपने सहोदर से लिपटे इस नन्हे के लिए जीवन क्या होगा?



No comments:

Post a Comment