दिन भर कि किच-किच के बाद जो बंद हुआ दफ्तर
पिंजरे से छूटे पंछी सा, पहुँचा फिर मैं घर
पहुँचा फिर मैं घर, हाल क्या बोलूं भाई
पत्नी झट से चाय-नाश्ता लेकर आयी
गर्म चाय की घूँट से, जब गला हो गया तर
मैं टी वी के सामने बैठा, देखूं ज़रा ख़बर
देखूं ज़रा ख़बर, हाल जानूं दुनिया का
पहली ख़बर "कत्ल हो गया किसी लड़की का"
भाई ने "भाई" से भाई को मरवाया
सेंसेक्स का ग्राफ लुढ़क कर नीचे आया
लुढ़क कर नीचे आया लोगों का चरित्र भी
सदन में करते मार-पीट, एम एल ए - एम पी
आम आदमी त्रस्त महंगाई की मार से
चीन ढहा भूकंप से, गंगा बढ़ी बाढ़ से
गंगा बढ़ी बाढ़ से, सबका रोना देखा
रोज़ की बात है, इसमे क्या है नया-अनोखा?
गुर्रा कर टी वी ने जैसे मुझको देखा
ये सच था या था मेरी नज़रों का धोखा?
"नज़रों का धोखा?" मुझको फटकार लगाई
तू कैसा निर्लज्ज, नाकारा मानुष है भाई
लोगों को रोते देखूं तो, आंसू मुझको आते हैं
मानवता के सोते तुझमे, सूख कैसे सब जाते हैं
सूख कैसे सब जाते हैं, क्या मरा हुआ है?
कर्मवीर का ये जीवन है, नही जुआ है
हाथों में रिमोट जो लूँ, मेरा मन सोचता है
मैं टी वी नही, टी वी मुझे देखता है।
Saturday, July 19, 2008
Wednesday, July 16, 2008
जीवन तेरे रूप अनेक
Wednesday, July 9, 2008
जमशेदपुर की बाढ़
जमशेदपुर: स्वर्णरेखा और खरकाई नदियों के बीच बसा एक औद्योगिक शहर। इस मानसून, ये पहाड़ी शहर भी बाढ़ की चपेट में आ गया।
गरीब तो गरीब, कई पॉश कालोनियां भी बाढ़ की चपेट में आने से नही बच सकीं।
राहत और बचाव के दौरान आदित्यपुर में एक दुर्घटना हो गई। तकरीबन दो दिनों तक रहे इस बाढ़ ने बता दिया की मनुष्य प्रकृति के सामने कुछ भी नही।
ये तस्वीर है स्वर्णरेखा नदी की। मुख्य भूमि को मानगो से जोड़ती इस पुल को पानी ने लगभग छु लिया। पुल पर खड़े लोग बाढ़ का नज़ारा लेते हुए...
ये तस्वीर है खरकई नदी पर बने आदित्यपुर पुल की।
गरीब तो गरीब, कई पॉश कालोनियां भी बाढ़ की चपेट में आने से नही बच सकीं।
राहत और बचाव के दौरान आदित्यपुर में एक दुर्घटना हो गई। तकरीबन दो दिनों तक रहे इस बाढ़ ने बता दिया की मनुष्य प्रकृति के सामने कुछ भी नही।
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