Sunday, September 20, 2020

दोबारा मत पूछना

 टी वी ने कहा

पूछ डाला तो 

लाइफ झिंगालाला 


तो हमने पूछा 

महँगाई घटेगी?

वे बोले - तुम हो

जिम्मेदार इसके 


आबादी बढ़ाते,

बढ़ाते ही जाते

हर एक जगह 

लाइन हो लगाते


हमने फिर पूछा 

शिक्षा हमारी 

क्यों है लचर?

क्या है बीमारी?


वे बोले - अभी 

बताया तो था

कि तुम ही हो

जिम्मेदार इसके 


हमने फिर से 

नया सवाल दागा 

स्वास्थ्य व्यवस्था 

किधर है भागा?


वे गुस्सा हो गए

कितनी बार बताऊँ

कि तुम ही हो

जिम्मेदार इसके


गंदगी फैलाते तुम

तंबाकू चबाते तुम

खुद दवाईयाँ खरीद 

डाक्टर बनते तुम 


हमने किया अपने

ब्रह्मास्त्र का वार

क्यों नहीं है काबू

देश में भ्रष्टाचार?


इस बार तो वे बस

मुस्कराए, फिर हँसे

अबकी बार तुम

बिलकुल सही फँसे!


हाथी के दाँत हैं 

इस पर तुम सोचना 

और हाँ। खबरदार!

दोबारा मत पूछना 

Tuesday, September 8, 2020

अंतर्द्वंद

 


अनमयस्क सा आकाश 

अनासिक्त सा अंतर्मन 

ख्वाहिशों की डोर कभी

हाथ आती, छूट जाती